शेयर बाजार और कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन को समझने के लिए कई शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण शब्द है EBITDA (एबिटा)।
EBITDA का पूरा नाम “Earnings Before Interest, Taxes, Depreciation, and Amortization” होता है. हिंदी में इसका मतलब “ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई” होता है।
सरल भाषा में कहें तो, EBITDA कंपनी के संचालन से होने वाले लाभ को दर्शाता है, लेकिन इसमें ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन शामिल नहीं होते हैं। आइए, इनका अलग-अलग मतलब समझते हैं:
- ब्याज (Interest): कंपनी द्वारा लिए गए लोन पर दिया जाने वाला ब्याज
- कर (Taxes): कंपनी द्वारा कमाए गए मुनाफे पर दिया जाने वाला कर
- मूल्यह्रास (Depreciation): कंपनी की संपत्ति (जैसे मशीनरी, भवन) के मूल्य में समय के साथ होने वाली कमी
- परिशोधन (Amortization): अमूर्त संपत्ति (जैसे पेटेंट, कॉपीराइट) के मूल्य में समय के साथ होने वाली कमी
EBITDA की गणना कैसे करें (EBITDA Calculation)
सूत्र:
EBITDA = शुद्ध आय(net income) + ब्याज व्यय (interest expense) + कर(tax) + मूल्यह्रास(depreciation) + परिशोधन(amortization)
उदाहरण (EBITDA example) : मान लीजिए कि किसी कंपनी की शुद्ध आय ₹100 करोड़, ब्याज व्यय ₹10 करोड़, कर ₹20 करोड़, मूल्यह्रास ₹5 करोड़ और परिशोधन ₹2 करोड़ है।
इस कंपनी का EBITDA होगा:
EBITDA = ₹100 करोड़ + ₹10 करोड़ + ₹20 करोड़ + ₹5 करोड़ + ₹2 करोड़ = ₹37 करोड़
इसका मतलब है कि कंपनी ने ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन का भुगतान करने से पहले ₹137 करोड़ कमाए।
EBITDA का महत्व (Importance of EBITDA)
- संशोधित लाभ का अध्ययन: यह, कम्पनी के ऑपरेशनल प्रदर्शन को मापने का एक मानक है, जो वित्तीय प्रदर्शन को समझने में मदद करता है।
- पोर्टफोलियो का आकलन: यह एक कंपनी की अनुमानित मूल्यांकन में भी उपयोगी होता है, खासतौर पर प्राथमिक सार्वजनिक प्रदान के लिए।
- वित्तीय विश्लेषण: यह, कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य और लाभकारीता का मूल्यांकन करने के लिए उपयोगी है, क्योंकि यह कंपनी के ऑपरेशनल क्षमता को अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट करता है।
- संबंधों में मापदंड: इसका उपयोग विभिन्न कंपनियों और उद्योगों के बीच संबंधों को तुलनात्मक रूप से मापने में किया जा सकता है।
- संगठन की प्रबंधन योग्यता का मूल्यांकन: इसका उपयोग संगठन की प्रबंधन क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि यह कंपनी के अनुपातों को प्रभावित कर सकता है।
EBITDA की सीमाएं (Limitations of EBITDA)
- गैर-नकदी खर्चों को अनदेखा करता है: इसका मूल्यह्रास और परिशोधन जैसे गैर-नकदी खर्चों को ध्यान में नहीं रखता है। ये खर्च भविष्य में कंपनी के नकदी प्रवाह को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक कंपनी जो भारी मात्रा में मशीनरी और उपकरणों में निवेश करती है, उसके पास उच्च मूल्यह्रास व्यय होगा। इसका EBITDA कम होगा, भले ही इसका नकदी प्रवाह मजबूत हो।
- करों को ध्यान में नहीं रखता: इसके करों को ध्यान में नहीं रखता है, जो कंपनी के लाभ पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए, दो कंपनियों का समान EBITDA हो सकता है, लेकिन उनकी कर दरें भिन्न हो सकती हैं। जिस कंपनी की कर दर कम है, उसकी शुद्ध आय अधिक होगी।
- उद्योगों के बीच तुलना में मुश्किल: यह विभिन्न उद्योगों के लिए तुलनीय नहीं हो सकता है, क्योंकि कुछ उद्योगों में दूसरों की तुलना में अधिक पूंजीगत व्यय या मूल्यह्रास होता है। उदाहरण के लिए, एक पूंजी-गहन उद्योग (जैसे विनिर्माण) में एक कंपनी का EBITDA एक सेवा-आधारित उद्योग (जैसे परामर्श) में एक कंपनी के EBITDA से अधिक हो सकता है, भले ही दोनों कंपनियों का लाभ समान हो।
- हेरफेर की संभावना: कुछ कंपनियां इसको बढ़ाने के लिए अनुचित तरीकों का उपयोग कर सकती हैं, जैसे कि आक्रामक मूल्यह्रास नीतियां अपनाना या अनुसंधान और विकास खर्चों को कम करना।
- पूर्ण वित्तीय चित्र प्रदान नहीं करता: यह मीट्रिक कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य का केवल एक हिस्सा दर्शाता है। यह कंपनी की तरलता, ऋण भार और विकास संभावनाओं जैसे अन्य महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में नहीं रखता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को समझने के लिए यह एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है। यह विभिन्न कंपनियों के प्रदर्शन की तुलना करने में भी मदद करता है। हालांकि, EBITDA की सीमाओं को भी ध्यान में रखना चाहिए और किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले अन्य कारकों पर भी विचार करना चाहिए।