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Meaning of Monetary Policy in Hindi : अर्थव्यवस्था का संचालक

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Meaning of Monetary Policy in Hindi

मौद्रिक नीति: अर्थव्यवस्था का संचालक (Meaning of Monetary Policy in Hindi: अर्थव्यवस्था का संचालक)

आपने कभी न कभी “महंगाई बढ़ रही है” या “ब्याज दरें कम हो गई हैं” जैसे वाक्यांश जरूर सुने होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन घटनाओं के पीछे का असली सूत्रधार कौन है? जी हाँ, वह है मौद्रिक नीति (Monetary Policy)!

यह लेख आपको सरल हिंदी में मौद्रिक नीति के रहस्य को उजागर करेगा। आप जानेंगे कि यह क्या है, इसके उद्देश्य क्या हैं, कैसे काम करती है और इसका हमारे दैनिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है।

मौद्रिक नीति का अर्थ क्या है? (What is the meaning of Monetary Policy in Hindi?)

मौद्रिक नीति, सरल शब्दों में कहें तो, पैसे की आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा उठाए गए कदमों का समूह है। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को स्थिर और स्वस्थ रखना है। ऐसा करके सरकार मुद्रास्फीति (महंगाई) को नियंत्रित कर सकती है, आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है और बेरोजगारी को कम कर सकती है।

मौद्रिक नीति के उद्देश्य क्या हैं? (What are the objectives of Monetary Policy in Hindi?)

मौद्रिक नीति के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

  1. मूल्य स्थिरता (Price Stability): यह सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है। इसका अर्थ है कि सरकार मुद्रास्फीति को एक स्वीकार्य सीमा (आमतौर पर 2-4%) के भीतर रखना चाहती है। इससे लोगों की क्रय शक्ति बनी रहती है और अर्थव्यवस्था में स्थिरता आती है।
  2. आर्थिक विकास (Economic Growth): सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाहती है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ें और लोगों की आय में वृद्धि हो। मौद्रिक नीति का इस्तेमाल करके आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  3. पूर्ण रोजगार (Full Employment): सरकार बेरोजगारी को कम करना और अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना चाहती है। मौद्रिक नीति का इस्तेमाल करके ब्याज दरों को कम करके निवेश को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

मौद्रिक नीति कैसे काम करती है? (How does Monetary Policy work in Hindi?)

केंद्रीय बैंक विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके मौद्रिक नीति को लागू करता है। इनमें से कुछ प्रमुख उपकरण हैं:

  • रेपो दर (Repo Rate): यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को रात भर के लिए धन उधार देता है। रेपो दर बढ़ाने से बाजार में ब्याज दरें बढ़ जाती हैं, जिससे लोग कम खर्च करते हैं और अधिक बचत करते हैं। इससे मुद्रास्फीति को नियंत्रित किया जा सकता है। रेपो दर कम करने से ब्याज दरें कम हो जाती हैं, जिससे लोग अधिक खर्च करते हैं और निवेश बढ़ता है। इससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है।
  • खुले बाजार संचालन (Open Market Operations): केंद्रीय बैंक सरकारी प्रतिभूतियों (बॉन्ड) को खरीदकर या बेचकर बाजार में धन की आपूर्ति को नियंत्रित कर सकता है। बॉन्ड खरीदने से बाजार में धन की आपूर्ति बढ़ जाती है और ब्याज दरें कम हो जाती हैं। बॉन्ड बेचने से बाजार में धन की आपूर्ति कम हो जाती है और ब्याज दरें बढ़ जाती हैं।
  • नकद आरक्षित अनुपात (Cash Reserve Ratio): यह वह अनुपात है जिस पर वाणिज्यिक बैंकों को अपनी जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा केंद

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