डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही है। मंगलवार सुबह रुपये ने पहली बार रिकॉर्ड 80 का न्यूनतम स्तर छुआ। रुपये में आ रही लगातार गिरावट(rupee fall) का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है।
फॉरेक्स मार्केट के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 79.98 पर खुला, जो पिछले बंद से 1 पैसे नीचे था। मुद्रा विनिमय बाजार खुलते वक्त ही रुपये में गिरावट होने लगी और कुछ ही मिनट में यह ऐतिहासिक गिरावट के साथ 80 के पार जाकर 80.01 पर ट्रेडिंग करने लगा। ग्लोबल मार्केट में डॉलर में आ रही मजबूती और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से फण्ड निकासी की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है। साल 2022 में रुपया डॉलर के मुकाबले 7% टूट चुका है।
Why Is rupee Falling – क्या है गिरावट के मुख्य कारण
रुपये में कमजोरी(rupee fall) का सबसे बड़ा कारण विदेशी मार्केट का दबाव है, जो Russia Ukraine WAR की कारण से आया है। विदेशी मार्केट में कमोडिटी पर दबाव की वजह से निवेशक डॉलर को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग डॉलर में होती है। लगातार मांग से डॉलर अभी 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है।
इसके अलावा विदेशी निवेशक इस समय भारतीय बाजार से लगातार अपनी इक्विटी बेच के फण्ड निकाल रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा में कमी आ रही है और भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। वित्तवर्ष 2022-23 में अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है।
How is the Falling Rupee Impacting the Indian Economy?
- सबसे पहले तो रुपया गिरने से आयात महंगा हो जाएगा, क्योंकि भारतीय आयातकों को अब डॉलर के मुकाबले ज्यादा रुपया खर्च करना पड़ेगा।
- भारत अपनी कुल खपत का 85 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है, जो डॉलर महंगा होने और दबाव डालेगा।
- ईंधन महंगा हुआ तो माल ढुलाई की लागत बढ़ जाएगी जिससे रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे और आम आदमी पर महंगाई का बोझ भी और बढ़ जाएगा।
- विदेशों में पढ़ाई करने वालों पर भी इसका असर पड़ेगा और उनका खर्च बढ़ जाएगा, क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले उन्हें ज्यादा रुपये खर्च करने पड़ेंगे।